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Population Control Policy in India : Need , Consequences and Results

भारत में *जनसख्याँ नियंत्रण कानून* 


*जनसख्याँ नियंत्रण कानून* आजकल हर रोज अख़बारों और न्यूज़ चैंनलों में सुर्खिया बटोर रहा है , जनसख्याँ नियंत्रण कानून की मांग से जहाँ देश की राजनीती आये दिन गरमाई रहती है वही इसमें अब आम जनता की भी दिलचस्पी बढ़ती जा रहे  है कुछ इसके पक्ष में बात करते है तो कुछ इसके विरोध में | पक्ष और विरोध में अपने -अपने तर्क दिए जाते है राजनितिक पार्टियों से लेकर धर्म गुरुओं  सभी  इसपर अपने अपने विचार रखते रहे है | पर क्या भारत जैसे देश में जनसख्याँ नियंत्रण कानून को लागु कर पाना आसान बात है जहाँ पर अब भी लोग अशिक्षा , रूढ़िवादी विचारधारा और धार्मिक पाखंडो से लिपटे पड़े है क्या वहां  जनसख्याँ नियंत्रण की बात लोगो की समझ में आ जाएगी | तो चलिए शुरुवात से समझते है की की क्यों जरूरत है भारत को जनसख्याँ नियंत्रण कानून की 


भारत की स्थति 

यूनाइटेड नेशन की एक रिपॉर्ट  भारत की जनसख्याँ  2027 में चीन की जनसख्याँ  से जायदा हो जाएगी और 2050  में  लगभग लगभग 250 मिलियन लोग और शामिल हो जायेंगे जो की भारत के राजनेता और  नीति-निर्माताओं के लिए चिंता का विषय बना हुआ है भारत दुनिआ के  क्षेत्रफल में  केवल 2.4 % का  हिस्सा है जभी जनसख्या के मामले में 16.7% की हिससेदारी है जो की ावादी के संतुलन में अवरोध  पैदा करेगी।  इतनी बड़ी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाध्नों को भी उसी तीव्रता से बढ़ाना होगा जैसी की  आबादी में तेजी हो रही है  पर ये सब व्यवहारिक रूप से  मुमकिन नहीं है 

क्या भारत  *जनसख्याँ नियंत्रण कानून* लागु  किया जा सकता है ?

भारत में अभी इस पर चर्चओं का दौर चल रहा है पर भारत जैसे विभिन मान्यताओ वाले देश में *जनसख्याँ नियंत्रण कानून* को लागु करना आसान बात नहीं होगी  अगल अलग धर्मो जातियों विचरदारो को मानाने वाले लोगो को स इसके पक्ष में करना इक बड़ी चुनती है जहा पर बचो को भगवान का रूप मन जाता है वहाँ पर *जनसख्याँ नियंत्रण कानून* को  लागु करना आसान बात नहीं होगी  अगर सरकार इस पर इक देश व्यापी कानून ले भी आती  है तो भी इसको व्यवहरिक बनाने में एक लम्बे समय के  लिए सरकार को कार्य करना पड़ेगा इसके किये सरकारों को वहीं समाजिक समूहों , संस्थाओ के साथ मिल कर काम करना पड़ेगा जिसके सरकार अपने निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर सके  १ 


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