20 वीं सदी के सबसे चर्चित शायरों और कवियों में से एक थे , दुष्यंत कुमार की शायरी और ग़ज़लों में आम आदमी की समस्याओँ और दशा को बेहतरीन से देखा जा सकता है | चलिए पढ़ते है दुष्यंत कुमार जी की कुछ बेहतरीन चुनिंदा शायरी और ग़ज़लें |
दुष्यंत कुमार की चुनिंदा शायरी और ग़ज़लें (Quotes/Thoughts in Hindi)
1. हम इतिहास नहीं रच पाए इस पीड़ा में दहते हैं,
अब तो धाराएँ पकड़ेंगे, इसी मुहाने आएँगे !~ दुष्यंत कुमार
2. दुकानदार तो मेले में लुट गए यारों,
तमाशलहू-लुहान नज़ारों का ज़िक्र आया तो, ~ दुष्यंत कुमार
3. कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए,
कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए।~ दुष्यंत कुमार
4. नज़रों में आ रहे हैं नज़ारे बहुत बुरे,
होंठों पे आ रही है ज़ुबाँ और भी ख़राब।
नज़रों में आ रहे हैं नज़ारे बहुत बुरे,
होंठों पे आ रही है ज़ुबाँ और भी ख़राब।~ दुष्यंत कुमार
5. कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं,
गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं।~ दुष्यंत कुमार
6. शरीफ़ लोग उठे, दूर जा के बैठ गए।
बीन दुकानें लगा के बैठ गए।
नज़रों में आ रहे हैं नज़ारे बहुत बुरे,नज़रों में आ रहे हैं नज़ारे बहुत बुरे,
होंठों पे आ रही है ज़ुबाँ और भी ख़राब।
होंठों पे आ रही है ज़ुबाँ और भी ख़राब।~ दुष्यंत कुमार
7. अब तो इस तालाब का पानी बदल दो,
ये कमल के फूल कुम्हलाने लगे हैं।~ दुष्यंत कुमार
8. मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे
मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएँगे
मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएँगे
मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएँगे~ दुष्यंत कुमार
9. फिरता है कैसे-कैसे सवालों के साथ वो,
उस आदमी की जामातलाशी तो लीजिए।~ दुष्यंत कुमार
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