स्वामी विवेकानंद Quotes in Hindi
1. ज्ञान धन से उत्तम है क्योंकि धन की रक्षा हमें करनी पड़ती है और ज्ञान हमारी रक्षा करता है। - स्वामी विवेकानंद
2. चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो। ~ स्वामी विवेकानन्द
3. "दूसरों का भला करने से ही व्यक्ति अपनी भलाई को प्राप्त करता है, और दूसरों को भक्ति और मुक्ति की ओर ले जाने से ही वह स्वयं उन्हें प्राप्त करता है।" - स्वामी विवेकानंद
4. आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नहीं बनसकता है| -स्वामी विवेकानंद
5. खड़े हो जाओ हिम्मत वाले बनो सब जवाबदारीयां अपने सर ओढ़ लो और याद रखो अपने नसीब के रचयिता आप खुद हो - स्वामी विवेकानंद जी
6. जितना बड़ा संघर्ष होगा , जीत उतनी ही शानदार होगी ~ स्वामी विवेकानन्द
7. अपने आप से कहो कि हम सब कुछ कर सकते हैं,नहीं नहीं करने से तो सांप का विष भी असर नहीं करता।~ स्वामी विवेकानंद
8. दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो। ~ स्वामी विवेकानंद
9. “जब तक जीना तब तक सीखना, अनुभव ही जीवन में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।" - स्वामी विवेकानंद
10.. हिन्दू अपने अतीत का जितना गहन अध्ययन करेगा, उसका भविष्य उतना ही गौरवशाली बनेगा... "स्वामी-विवेकानंद
11. ज्ञान धन से उत्तम है क्योंकि धन की रक्षा हमें करनी पड़ती है और ज्ञान हमारी रक्षा करता है। - स्वामी विवेकानंद
12. जिन लोगों में सत्य,पवित्रता और निःस्वार्थपरता विद्यमान हैं, उन्हें स्वर्ग,मर्त्य एवं पाताल की कोई भी शक्ति कोई क्षति नहीं पहुँचा सकती। इन गुणों के रहने पर,चाहे समस्त विश्व ही किसी व्यक्ति के विरुद्ध क्यों न हो जाय,वह अकेला ही उसका सामना कर सकता है।~ स्वामी विवेकानंद
13. यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आँख, नाक, कान, मुँह, मस्तिष्क आदि क्यों देता...? - स्वामी विवेकानंद जी
14. कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आँखें मूंदकर उसके पीछे न चलिए। ~ स्वामी विवेकानंद
15. अपने इरादों को मज़बूत रखो। लोग जो कहेंगे उन्हें कहने दो। एक दिन वही लोग तुम्हारा गुणगान करेंगे~ स्वामी विवेकानंद
16. क्लेश से मुक्त होने का एकमात्र उपाय यही है कि तुम सुख की भावना का भी त्याग कर दो, क्योंकि ये दोनों एक साथ गुंथी हुई हैं। ~ स्वामी विवेकानंद
18. स्वयं को कमजोर समझना ही सबसे बड़ा पाप है – स्वामी विवेकानंद
19. "जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे। " ~स्वामी विवेकानंद जी
20. जिस प्रकार अलग अलग नदिया अलग अलग रास्ते से होकर विशाल समुद्र में मिल जाती है ठीक उसी प्रकार अलग अलग विचारो के लोग भले ही अलग विचार रखते हो लेकिन अंत में सभी ईश्वर के ही पास जाते है ~ स्वामी विवेकानंद
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