आखिरी वसीयत : एक कवि की आखिरी वसीयत || Beautiful short poem in Hindi ||2021||
हर कोई अपनी वसीयत में दुसरो को कुछ ना कुछ देकर जाता है पर जब कोई कवि अपने आखिरी पल बिता रहा होता है तो वो भी एक साधारण व्यक्ति की तरह कुछ इच्छाओ को पूरा होता हुआ देखना चाहता है और ये कविता भी ऐसे ही कुछ इच्छाओ को व्यक्त करती है जो कवि अपने अपनों से कहता है
कविता :
आखिरी वसीयत
मैं जब मृत्य को गले लगाऊ,
तो प्रिय, मेरे लिए एक काम करते जाना,अगर मुझे जलाया जाए !
तो मेरे ऊपर मुरझाये फूलो की पंखुड़ियों को रख देना,
मैं उनकी ख़ुशबू और महक को अपनी आत्मा में पिरोऊँगा,
मेरी अस्थियों की राख के साथ उन फूलो की राख भी साथ बहाया जाए,
मै उनके साथ अपनी आगे की यात्रा आरंभ करूँगा।
अगर प्रिय, मुझे दफनाया जाए तो,
मेरी कब्र में दुनियां के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारो की किताबों को भी साथ दफनाया जाए,
मैं उन किताबो की आभा को महसूस करूँगा,
मेरी आत्मा की शांति के लिए अगर कोई पूजा की जाए,
तो मंत्रो की जगह , एक सुंदर प्रेमगीत सुनाया जाए,
क्योंकि वो मुझे ज्यादा आनंद देते हैं।
मेरे मोक्ष के लिए अगर कोई भोज रखा जाए,
तो उसमे पक्षियों, तितलियों और भवरों को भी बुलाया जाए।
मेरे नाम पर अगर कोई दान किया जाए ,
मेरे सन्दूक में रखी किताबो को , पुस्तक प्रेमियों को बांट दी जाए,।
प्रिय, मैं अपनी वसीयत में तूम्हारे लिए बस अपना प्रेम छोड़ के जा रहा हूँ
मैं मन मस्तिष्क से प्रिय तुम्हारा आभार व्यक्त करता हूँ,
तुमनें मेरी वसीयत को मेरे लिए पूर्ण किया।
तो मेरे ऊपर मुरझाये फूलो की पंखुड़ियों को रख देना,
मैं उनकी ख़ुशबू और महक को अपनी आत्मा में पिरोऊँगा,
मेरी अस्थियों की राख के साथ उन फूलो की राख भी साथ बहाया जाए,
मै उनके साथ अपनी आगे की यात्रा आरंभ करूँगा।
अगर प्रिय, मुझे दफनाया जाए तो,
मेरी कब्र में दुनियां के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारो की किताबों को भी साथ दफनाया जाए,
मैं उन किताबो की आभा को महसूस करूँगा,
मेरी आत्मा की शांति के लिए अगर कोई पूजा की जाए,
तो मंत्रो की जगह , एक सुंदर प्रेमगीत सुनाया जाए,
क्योंकि वो मुझे ज्यादा आनंद देते हैं।
मेरे मोक्ष के लिए अगर कोई भोज रखा जाए,
तो उसमे पक्षियों, तितलियों और भवरों को भी बुलाया जाए।
मेरे नाम पर अगर कोई दान किया जाए ,
मेरे सन्दूक में रखी किताबो को , पुस्तक प्रेमियों को बांट दी जाए,।
प्रिय, मैं अपनी वसीयत में तूम्हारे लिए बस अपना प्रेम छोड़ के जा रहा हूँ
मैं मन मस्तिष्क से प्रिय तुम्हारा आभार व्यक्त करता हूँ,
तुमनें मेरी वसीयत को मेरे लिए पूर्ण किया।
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