पढ़िये राहत इंदौरी की शानदार शायरी ||RAHAT INDORI||
1. अगर खिलाफ हैं होने दो , जान थोड़ी है,
ये सब धुआं है, कोई आसमान थोड़ी है,
लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में,
यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है - राहत इंदौरी
2. मौत का ज़हर है फज़ाओं में , अब कहाँ जा के सांस ली जाये - राहत इंदौरी
3. ख़ुद को पत्थर सा बना रक्खा है कुछ लोगों ने ,
बोल सकते हैं मगर बात ही कब करते हैं ~ राहत इंदौरी
4. चेहरों की धूप आंखों की गहराई ले गया ,
आईना सारे शहर की बीनाई ले गया - राहत इंदौरी
5. मैं लाख कह दूं कि आकाश हूं ज़मीं हूं मैं ,
मगर उसे तो ख़बर है कि कुछ नहीं हूं मैं - राहत इंदौरी
6. ऐसे दरवेशों से मिलता है हमारा शिजरा ,
जिनके जूतों में कई ताज पड़े रहते है.. - राहत इंदौरी
7. ये अलग बात है के ख़ामोश खड़े रहते हैं ,
फिर भी जो लोग बड़े हैं, वो बड़े रहते हैं - राहत इंदौरी
8. मेरे अपने मुझे मिट्टी में मिलाने आए,
अब कहीं जा के मेरे होश ठिकाने आए - राहत इंदौरी
9. शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम ,
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे - राहत इंदौरी
10. उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो ,
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है - राहत इंदौरी
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